मेरे बारे में

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The only thing I really wish to do with my life is to inspire someone. I want to touch someone’s life so much that they can genuinely say that if they have never met me then they wouldn’t be the person they are today. I want to save someone; save them from this cold, dark and lonely world. I wish to be someone’s hero, someone that people look up to. I only wish to make a change, even if it’s a small one. I just want to do more than exist.

गुरुवार, 23 दिसंबर 2010

सारा शहर है पीने वाला

कभी नहीं पड़ सकता यारों , मैखानों में ताला !
एक, दो,चार नहीं, सारा  शहर  है  पीने वाला !
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मंदिर और मस्जिद का झगड़ा यूँ मिटाया जाय !
दोनों   के   बीच  एक ,  मैखाना  बनाया  जाय !
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तेरे कानों  में चुपके से , जो खुद मैंने बयाँ की है !
जमीं वालों से मत कहना, ये बातें आस्मां की हैं !
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सारा शहर था मेरे जनाजे के पीछे !
मगर क्यों तू ना आया मेरे जनाजे के पीछे ?

आता मैं कैसे तेरे जनाजे के पीछे !
तेरे जनाजा जो था, मेरे जनाजे के पीछे !!
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हम पानी की एक-एक बूँद को तरस गए !
और बादल जाकर,समंदर पर बरस गए !
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बुधवार, 15 दिसंबर 2010

ये क्या हो रहा है , बापू तेरे देश में !


                                                 
ये क्या हो रहा है ,
बापू  तेरे  देश  में !
अमन-चैन खो रहा है ,
बापू  तेरे  देश  में !


राम की इस धरती का ,
हो  रहा  है  अपमान ,
इन्सान सो रहा है ,
बापू  तेरे  देश  में !
ये क्या हो .............


इन्सान बन बैठा है ,
इंसानियत का दुश्मन ,
कटुता के बीज बो रहा है ,
बापू  तेरे  देश  में !
ये क्या हो .............


शहीदों की कुर्बानियों को,
भूल चूका है इन्सान ,
दौलत पराई लूट रहा है ,
बापू  तेरे  देश  में ! 
ये क्या हो ..............


इस मिटटी की शान को ,
वो कर रहा है बदनाम ,
इमान अपना बेच रहा है ,
बापू  तेरे  देश  में !
ये क्या हो .................


देश की आबो-हवा ,
रोज़ बदल रही है ,
जीना मुश्किल हो रहा है ,
बापू  तेरे  देश  में !
ये क्या हो ................

रविवार, 12 दिसंबर 2010

ये पत्थरों का शहर है

क़त्ल  कर  दे  निगाहों  से , ऐसा  कातिल  नहीं  मिलता ,
जो बदल दे तुफानो का रास्ता , ऐसा साहिल नहीं मिलता !

ये  पत्थरों  का  शहर है  ,पत्थर दिल  हैं  लोग ,
ठोकरों  के  सिवा  यहाँ  कुछ  नहीं  मिलता !

मंजिल की तलाश में चलते चले जाते हैं लोग,
रास्ते गुम हो जाते  हैं, कारवां  नहीं  मिलता !

गैर  तो  फिर भी गैर  हैं , उनसे  क्या  शिकवा  करें ,
यहाँ अपने बदल जाते हैं, कोई सहारा नहीं मिलता !

उसने  साथ  छोड़ा ,  मुझे  बेवफा  समझकर ,
बेगानों की बस्ती में, अब हमदर्द नहीं मिलता!

मिलते  तो  कई  लोग  हैं ,  राहों  में  गुजरते  हुए ,
जो मंजिल तक साथ चले,ऐसा हमसफ़र नहीं मिलता !

अब  तो  ये  आलम  है ,  तन्हा  रह  गया  'विजय' ,
क्योंकि कश्ती तो वहीँ डूबी थी, जहाँ पानी नहीं मिलता !

मंगलवार, 7 दिसंबर 2010

ज़िन्दगी वेद थी, जिल्द बांधने में कट गयी

सूरज  सरों  पे  आग  उगलता  दिखाई  दे !
मुझको ये शहर आज पिघलता  दिखाई  दे !
मै  इस  नदी  के  पार  उतर जाऊंगा  मगर !
आगे कोई  चिराग  तो  जलता  दिखाई  दे !!
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मेरे  दिल  कि  राख  कुरेद  मत !
इसे  मुस्करा  के  हवा  न  दे  !
ये  चिराग  फिर  भी  चिराग है ! 
कहीं  तेरा  हाथ  जला  न  दे !
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बदल  गए  हैं  वो  खुद , मौसमों  कि तरह !
जो कह रहे थे , कि मौसम बदलने वाला है !
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हमने  एक  शाम  चिरागों  से  सजा  रखी  है !
शर्त  लोगों  ने  हवाओं  से  लगा  रखी  है !
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गुमान  नहीं  होता,  कि  तुम  बहुत  दूर  हो !
यह नहीं जानता मै, कि तुम क्यों मजबूर हो !
हर  तमन्नाओं  को  दफन  करके  बैठे  हो !
नहीं  शिकवा  तुमसे  कि  तुम  तो बेकसूर हो !
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कितना मै गम उठाऊं,  इस ज़िन्दगी  के  साथ !
हूँ उदास अपने दिल से बेजार,ज़िन्दगी के साथ !
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रविवार, 5 दिसंबर 2010

लहरों से खेलता हुआ , लहरा के पी गया !

लहरों से  खेलता  हुआ , लहरा  के  पी  गया !
साकी की हर निगाह पे ,बल खा के पी गया !!
मैंने तो  छोड़ दी  थी , पर रोने लगी शराब !
मैं उसके आंसुओं पे तरस खा के पी गया !!
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मंदिर और मस्जिद का झगडा यूँ मिटाया जाय !
दोनों  के  बीच  एक  मैखाना  बनाया  जाय !!
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ये हमने आज से तय कर लिया , कि हम तुझको !
करेंगे   याद   कि   जब   तक   भूला   नहीं   देंगे !
शराब  पीके  बड़े  तजुर्बे  हुए  हैं  हमें !
शरीफ लोगों को हम मशवरा नहीं देंगे ! 
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बात  साकी की ना  टाली   जाएगी !
करके   तौबा  तोड़  डाली   जाएगी !
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कभी कहा न किसी से  तेरे  अफसाने  को ,
न  जाने कैसे खबर  हो  गयी  ज़माने  को ,
दुआ बहार कि मांगी तो इतने फूल खिले ,
कहीं जगह न मिली  मेरे  आशियाने  को  !
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भूल   शायद  बहुत  बड़ी  कर  ली  !
हमने  दुनिया  से  दोस्ती  कर  ली  !
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गुरुवार, 2 दिसंबर 2010

आरजू बन के शाम आई है ,



दिल जल जल कर राख हुआ ,
आँखों से  भी रोया  ना  गया ,
जख्म   ही   कुछ   ऐसे   थे ,
फूलों पर भी सोया ना  गया !

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मेरा  दिन  तेरी  रात  से  अच्छा  होगा ,
मेरा दिल तेरे जज्बात से  अच्छा होगा ,
उठेगी  डोली  तो घूँघट उठा कर देखना ,
मेरा जनाजा तेरी बारात से अच्छा होगा !

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चाहे जिसे महफिल में बुला सकते हैं आप ,
हम भी क्या चीज़ हैं ,सितारों को भी ला सकते हैं आप !


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आरजू बन के शाम आई है ,
कुछ इस तरह से बहार छाई है,
जैसे कोई देहात से दुल्हन ,
शहर में पहली बार आई है !


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चोट पर चोट दिल पे खाए हुए ,
होंठ फिर भी हैं मुस्कराए हुए ,
मौत की वादियों में बैठा हूँ ,
जिंदगी की शमा जलाये हुए !


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कितना बदल रहा इंसान

चंद रुपयों की खातिर अपना,
                          ईमान  बेच  रहा  इंसान !
पैसे की अंधी दौड़ में कितना ,
                          आगे निकल रहा इंसान !
कितना  बदल  रहा  इंसान ,
                          कितना बदल रहा इंसान !

है झूठ का चोला ओढ़े ,
                          लेकिन बन रहा अनजान !
देश के दामन  में करता ,
                          गहरी  चोट  का  निशान !
कितना बदल रहा इंसान 
                          कितना बदल रहा इंसान 

मंदिर मस्जिद चर्च गुरुद्वारों ,
                          को  कर  रहा  बदनाम !
चोरी डकैती हत्या बलवा ,
                          करके बन रहा शैतान !
कितना बदल रहा इंसान 
                          कितना बदल रहा इंसान 

रिश्ते-नाते भूला सब कुछ ,
                          है   ये   कैसा   अज्ञान ,
भ्रस्टाचार के दलदल में फँसकर ,
                          कर रहा खुद को बदनाम !
कितना बदल रहा इंसान ,
                          कितना बदल रहा इंसान !

एक नया भारत बनायें

आओ हम मिलकर एक,
नया     भारत   बनायें!!
                            जात-पात , उंच-नीच , ईर्ष्या ,
                            को     जड़     से     मिटायें !!
भेद-भाव, वैमनस्य , क्रोध,
को  जीवन  से  दूर  भगाएं!!
                             अहिंसा,भाई-चारा,प्रेम का सन्देश,
                             सभी             को          सिखाएं!!
हम     सब      एक     हैं,
मिल कर यह नारा लगायें!!
                              आने वाली अगली पीढ़ी को,
                              एक   नयी   राह    बताएं  !!
राम-रहीम  के आदर्शों पर ,
हम      चलकर    दिखाएँ !!
                               सर्व-धर्मं    के   प्रति   हम ,
                                मन में एक ही भावना जगाएं !!
सारे भारतवासियों के दिलों में ,
एक  नयी  ज्योत  जलाएं !!
                                आओ  हम  मिलकर  एक ,
                                नया      भारत      बनायें !!
        

        

वक़्त नहीं

हर ख़ुशी है लोगों के दामन में
पर एक हंसी के लिए वक़्त नहीं ,

दिन रात दौड़ती दुनिया में 
ज़िन्दगी के लिए ही वक़्त नहीं,

माँ की लोरी का एहसास तो है पर 
माँ को माँ कहने के लिए वक़्त नहीं ,

सारे रिश्तों को तो हम मार चुके 
अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त नहीं ,

सारे नाम मोबाइल में हैं पर 
दोस्ती के लिए वक़्त नहीं ,

गैरों की क्या बात करें जब 
अपनों के लिए ही वक़्त नहीं ,

आँखों में है नींद बड़ी पर
सोने का ही वक़्त नहीं ,

दिल है ग़मों से भरा हुआ पर 
रोने का भी वक़्त नहीं ,

पैसों की दौड़ में ऐसे दौड़े 
की थकने का भी वक़्त नहीं ,

पराये एहसासों की क्या कदर करें जब 
अपने सपनो के लिए ही वक़्त नहीं ,

तू ही बता ऐ ज़िन्दगी,
इस ज़िन्दगी का क्या होगा ,
की हर पल मरने वालों को ,
जीने के लिए भी वक़्त नहीं ,

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नेता का पहाडा

नेता     एकम     नेता 
नेता     दूनी       दगाबाज 
नेता     तियां      तिकड़मबाज 
नेता     चौके      चार सौ बीस 
नेता     पंजे        पंजाधारी 
नेता     छके       छैलचिकनिया   
नेता     सत्ते        सत्ताधारी 
नेता     अट्ठे      अड़ंगाबाज 
नेता     नेता        नमकहराम 
नेता     दहमन    सत्यानाश 

जब वो सामने से मेरे, मुस्कुराते हुए गुज़र गए !

नज़रों के तीर दिल पे ,
                        चुभाते  हुए   गुजर  गए !
 जब वो सामने से मेरे,
                         मुस्कुराते हुए गुज़र गए !
उनकी शोख अदाओं की ,
                         नजाकत   तो    देखिये  !
भरी भीड़ में तनहा मुझे ,
                         बनाते  हुए   गुजर   गए !
वो   मिले   थे   मुझे  ,
                         बड़ा अजीब इतेफाक था !
उन हसीन  पलों  को वो ,
                         भुलाते  हुए   गुजर  गए !
पल भर का साथ था ,
                         दो   चार  अफसाने    थे !
सब  कुछ  खाक  में ,
                         मिलाते  हुए  गुजर  गए !
खता क्या थी विजय की ,
                        इतना तो बता दिया होता !
क्यों गुरुर में अपने वो ,
                        इतराते   हुए   गुजर  गए !

गज़ल कब होती है

खुशबू जो फूलों पर छाये ,
तो   गज़ल   होती   है !

नज़र से नज़र टकराये ,
तो   गज़ल   होती   है ! 

आँखों से आंसू छलक आये,
तो  गज़ल  होती  है !

देख कर अगर वो मुस्कुराये ,
 तो   गज़ल   होती   है ! 

काली  घटा  जो  छाए,
तो  गज़ल  होती  है !

प्यार से जो अपना बनाये ,
तो  गज़ल  होती  है !

हाल-ऐ-दिल जब वो सुनाये ,
तो   गज़ल   होती   है !

जिंदगी जो रंग दिखाए 
तो  गज़ल   होती   है !

जाम से जाम जब टकराए ,
तो   गज़ल   होती   है !

मदहोशी फिर जो छाये ,
तो  गज़ल   होती   है !

हाथ की लकीरों में तक़दीर दूँढता हूँ

चिरागों  से  रोशनी  का  पता  पूछता हूँ ,
समंदर  से  तूफान  का  पता  पूछता  हूँ !

मुसाफिर  हूँ  एक ,  भटका  हुआ  यारों ,
परछाइयों से खुद अपना पता  पूछता हूँ !

मैं , मेरी  तन्हाई  और  ये  बेखबर  जिंदगी ,
फुरसत के इन पलों में,एक ग़ज़ल  दूँढता हूँ !

कौन अजनबी था, जिसने मेरा कत्ल किया ,
खंजर से उस  कातिल  का   पता पूछता हूँ !

खोये-खोये  से  क्यों ,लग  रहे  हैं  वो आज ,
खामोश  चहरे पे उनके  एक हंसी  दूँढता हूँ !

फिजाओं  में  छाई  है , ये  कैसी  विरानियाँ ,
पतझड़  में   बहारों   का   पता  पूछता  हूँ  !

जाने क्या लिखा है ,विजय की किस्मत में यारों ,
इस  हाथ  की  लकीरों  में,  तक़दीर  दूँढता  हूँ !

ये जिंदगी

          कभी   तो   बहुत,
          हँसाती ये जिंदगी !

                                   और कभी बहुत,
                                    रुलाती ये जिंदगी !

            रोज़ नए सपने ,
            दिखाती ये जिंदगी !

                                    सच्चाई का सामना ,
                                    कराती ये जिंदगी !

             नए-नए रिश्ते 
             बनाती ये जिंदगी !

                                     टूटे  दिलों  को ,
                                     मिलाती ये जिंदगी !

             बहुत ज्यादा इंतज़ार ,
             कराती ये जिंदगी !

                                      अपने पन  का अहसास ,
                                       कराती ये जिंदगी !

              जीवन में नए रंग ,
              लाती ये जिंदगी !

                                       प्रेम का संदेश ,
                                       सुनाती ये जिंदगी !

              जीने का सलीका ,
              सिखाती ये जिंदगी !

                                         प्यार से अपना ,
                                         बनाती ये जिंदगी ! 

                एक नयी राह ,
                दिखाती ये जिंदगी !