मेरे बारे में

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The only thing I really wish to do with my life is to inspire someone. I want to touch someone’s life so much that they can genuinely say that if they have never met me then they wouldn’t be the person they are today. I want to save someone; save them from this cold, dark and lonely world. I wish to be someone’s hero, someone that people look up to. I only wish to make a change, even if it’s a small one. I just want to do more than exist.

शनिवार, 23 अप्रैल 2011

मूंगफल्ली वाला...........

                                गाडी अपनी पूरी रफ़्तार से दौड़ रही थी . सुबह का समय था . कुछ यात्री सो रहे थे . कुछ पेपर पढ़ने में मशगूल थे . कुछ आपस में बातें कर रहे थे . कुछ शांत बैठे बाहर का नज़ारा ले रहे थे . 
                                तभी दरवाजे के पास से शोर उठा . सभी का ध्यान उस ओर गया . कौतुहलवश मै भी उस तरफ गया . देखा तो एक पुलिसवाला एक मूंगफल्ली बेचने वाले को पीट रहा था .
                                "क्यों बे साले , ट्रेन में मूंगफल्ली बेचता है , जानता नहीं कि ट्रेन में मूंगफल्ली बेचना जुर्म है , चल , आज तेरे को जेल की हवा खिलाता हूँ . दो दिन जेल में रहेगा तो सारी अक्ल ठिकाने आ जाएगी ."
                                "अरे साब ,माफ़ कर दो साब........गलती हो गयी साब...........छोड़ दो साब..........जाने दो साब.........आगे से नहीं बेचूंगा साब............"
                                पुलिसवाला उसे मारते जा रहा था साथ में गाली भी देता जा रहा थे . तभी गाड़ी अगले स्टेशन पर रुकी . पुलिसवाला उसे लेकर वहां उतर गया .
                                कुछ देर बाद गाड़ी फिर चलने लगी . सभी फिर अपने में मगन हो गए .करीब पंद्रह मिनट बाद मेरे कानों आवाज आई .
                                "मूंगफल्ली ले लो ........टाइम-पास मूंगफल्ली ..............५-५ रुपये में ..........टाइम-पास मूंगफल्ली............."
                               मैंने सामने देखा तो वही व्यक्ति था जिसे पुलिसवाला पकड़ कर ले गया था . मुझे आश्चर्य हुआ .  मैंने उसे पास बुलाया और पुछा,"तुम्हें तो पुलिसवाला पकड़ कर ले गया था . फिर कैसे छुट गए ,"
                               "अरे साब , ये तो रोज़ की बात है , वो क्या है कि आज पुलिसवाले को पैसे नहीं पहुंचा पाया था न , इसलिए पकड़ा था , दस का नोट उसकी जेब में डाला तब जाके कहीं छोड़ा है ....................मूंगफल्ली ले लो ........टाइम-पास मूंगफल्ली ..............५-५ रुपये में ..........टाइम-पास मूंगफल्ली............."                                    

शनिवार, 16 अप्रैल 2011

हर आसमां में सितारे नहीं होते

हर आसमां में सितारे नहीं होते ,
हर समंदर में किनारे नहीं होते ,
हर नज़र से इशारे नहीं होते ,
हर बहार में नज़ारे नहीं होते ,
हर पार्क में फुव्वारे नहीं होते !

हर जाम के पैमाने नहीं होते ,
सभी हसीनो के दीवाने नहीं होते ,
हर गम के फसाने नहीं होते ,
हर रास्ते अनजाने नहीं होते ,
कुछ दोस्त कभी पुराने नहीं होते !

हर पत्थर चमकदार नहीं होते ,
हर फूल खुशबूदार नहीं होते ,
हर दोस्त वफादार नहीं होते ,
हर दिलबर दिलदार नहीं होते ,
हर इक लोग होशियार नहीं होते !

हर दामन में दाग नहीं होते ,
हर समुद्रतट पर झाग नहीं होते ,
हर फूल गुलाब नहीं होते ,
हर तीर दिल के पार नहीं होते ,
हर हुस्न लाजवाब नहीं होते !

इश्क में कुछ लोग बर्बाद नहीं होते ,
शहर में सभी आबाद नहीं होते ,
हर ख़त के जवाब नहीं होते ,
हर हसीनाओं के शबाब नहीं होते ,
हर नज़रों में ख्वाब नहीं होते ! 

सोमवार, 11 अप्रैल 2011

जब हम मुस्कुराते हैं


जब हम मुस्कुराते हैं ,
तो वो नज़रें चुराते हैं !

उनकी इस अदा को हम ,
समझ नहीं पाते हैं !

कोशिश तो बहुत करते हैं ,
पर उन्हें मना नहीं पाते हैं !

फुरसत के पलों में वो ,
बहुत याद आते हैं !

उनसे मुलाकात के तरीके ,
हम ढूंढते रह जाते हैं !

उनकी याद में हम जो ,
गीत लिखते जाते हैं !

सुनाना उन्हें चाहते हैं पर ,
खुद ही गुनगुनाने लग जाते हैं !

उनकी याद में हम ,
रात-रात भर जागते हैं !

कैसे उन्हें आपना बनाएं ,
यही सोचते रह जाते हैं ! 

मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

फर्क

                                दोपहर का वक्त था . सूरज सर पर आग उगल रहा था . रास्ते सुनसान पड़े थे . इक्का-दुक्का वाहन सड़क पर नज़र आ रहे थे. मै उस समय एक दूकान पर खड़ा था . चूँकि दुकानदार मेरा मित्र था इसलिए यूँही काफी देर से हम दोनों आपस में गुफ्तगू कर रहे थे . 
                                इतने में एक कार आकर सड़क पर रुकी . एक व्यक्ति कार से बाहर निकला . उसने सफेद रंग का सूट पहन रखा था, आखों में काला चश्मा, चमचमाते हुए काले जूते, और होठों में सिगरेट दबी थी. वह सीधे दुकान पर आया . उसने दुकान से कुछ सामान लिया . पैसे चुकाने के लिए जैसे ही पर्स से पैसे निकाले , कि तभी एक रुपये का सिक्का, उसकी जेब से निकला और लुडकता  हुआ कुछ दूर जा गिरा . वह व्यक्ति शायद बहुत जल्दी में था, इसलिए उसने उस सिक्के को उठाने की कोशिश नहीं की . सामान लेकर वह गाड़ी में जा बैठा और वहां से निकल गया. 
                                वह सिक्का भी वहीँ पड़ा था मानो सोच रहा हो कि कैसा मेरा मालिक है , इसे मेरी कोई चिंता ही नहीं है. अभी उस व्यक्ति को गए हुए दो-चार मिनट ही हुए थे कि एक दूसरा व्यक्ति वहां आया . शक्ल से काफी गरीब लग रहा था . मैले से कपडे , सर पे गमछा बांधे हुए , कोई मजदूर था शायद.  
                                आते ही उसकी नज़र उस सिक्के पर पड़ी .  नज़रें चारों तरफ घूमी, एक पैर आगे बढ़ा, और सिक्का धीरे से पैर के नीचे छिप गया. तभी सीधा हाथ पैर खुजलाने के लिए नीचे गया और सिक्का हथेली के अंदर.  अब उस व्यक्ति ने वहां से खिसकने में ही अपनी भलाई समझी, शायद सोचा हो कि अगर सिक्के के मालिक ने देख लिया तो सिक्का हाथ से चला जायेगा. 
                                सिक्के ने भी सोचा होगा कि चलो कोई तो मिला जिसने मेरा मोल पहचाना .