मै फिर उस समय में लौटना चाहता हूँ ................
जब ऊंचाई पर जाने का मतलब होता था सिर्फ झूले पर खूब ऊपर तक जाना .............
जब सिर्फ मेरी माँ ही मेरी हीरो हुआ करती थी .................
जब पिता के कंधे दुनिया की सबसे ऊँची जगह होते थे .................
जब मेरे सबसे बड़े दुश्मन मेरे अपने भाई बहिन हुआ करते थे और हम रोज़ लड़ाई झगडा करते थे ............
मै फिर उस समय में लौटना चाहता हूँ ................
जब टूटने वाली चीजें सिर्फ खिलौने हुआ करते थे ................
जब सिर्फ एक चीज़ से हमें तकलीफ हुआ करती थी और वो थे छिले हुए घुटने ............
जब टाटा कहने का मतलब सिर्फ अगले दिन तक ही होता था ...............
जब पढ़ने का कोई समय नहीं होता था मगर खेलने का एक निश्चित समय हुआ करता था ............
मै फिर उस समय में लौटना चाहता हूँ ................
जब नहाते समय पानी के टब में हम कागज़ की नाव चलाया करते थे ...............
जब एक पल में रोते थे और अगले ही पल में हँसने लगते थे ..........
जब हम स्कूल जाने से रोज़ घबराया करते थे ...........
जब रोज़ नए दोस्त हम बनाया करते थे ...........
हाँ, मै फिर उस समय में लौटना चाहता हूँ .............
जब ऊंचाई पर जाने का मतलब होता था सिर्फ झूले पर खूब ऊपर तक जाना .............
जब सिर्फ मेरी माँ ही मेरी हीरो हुआ करती थी .................
जब पिता के कंधे दुनिया की सबसे ऊँची जगह होते थे .................
जब मेरे सबसे बड़े दुश्मन मेरे अपने भाई बहिन हुआ करते थे और हम रोज़ लड़ाई झगडा करते थे ............
मै फिर उस समय में लौटना चाहता हूँ ................
जब टूटने वाली चीजें सिर्फ खिलौने हुआ करते थे ................
जब सिर्फ एक चीज़ से हमें तकलीफ हुआ करती थी और वो थे छिले हुए घुटने ............
जब टाटा कहने का मतलब सिर्फ अगले दिन तक ही होता था ...............
जब पढ़ने का कोई समय नहीं होता था मगर खेलने का एक निश्चित समय हुआ करता था ............
मै फिर उस समय में लौटना चाहता हूँ ................
जब नहाते समय पानी के टब में हम कागज़ की नाव चलाया करते थे ...............
जब एक पल में रोते थे और अगले ही पल में हँसने लगते थे ..........
जब हम स्कूल जाने से रोज़ घबराया करते थे ...........
जब रोज़ नए दोस्त हम बनाया करते थे ...........
हाँ, मै फिर उस समय में लौटना चाहता हूँ .............