इस शहर में लोगों का इमान बदलते देखा है ,
मै वो शख्स हूँ जिसने यहाँ इंसान बदलते देखा है !!
लोग तरसते रह जाते हैं एक आशयाने के लिए ,
मैंने तो उन्हें रोज़ एक मकान बदलते देखा है !!
लोग वादा करते हैं जिन्दगी भर साथ निभाने का,
मैंने तो जनाजे में भी लोगों को कंधे बदलते देखा है !!
क्यों मायूस होते हो,जरा-जरा सी बातों पर ,
मैंने तो तूफानों में भी चिराग जलते देखा है !!
पानी की एक-एक बूँद को यहाँ लोग तरसते हैं,
वहां मैंने समंदर पर बादलों को बरसते देखा है !!
लोग तो शरीफ होने का बस दम भरते हैं ,
मैंने लोगों को गिर-गिर सँभलते देखा !!
क्यों, उन्हें अपने होने का इतना गुरुर है ,
मैंने तो पहाड़ों को भी टूट के बिखरते देखा है !!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें