असमान में उड़ते हुए परिंदे से मैंने पूछा,"क्या तुम्हें जमीं पर गिरने का डर नहीं लगता ?"
उसने मुस्करा कर जवाब दिया,"मैं इंसान नहीं जो जरा सी बुलंदी पाकर अकड़ जाऊँ. मैं चाहे कितनी भी बुलंदी पर पहुँच जाऊँ, नज़रें मेरी जमीन पर ही होती हैं." कितनी अजीब बात है, कि इंसान को अगर जरा सी शौहरत क्या मिल जाती है , उसका व्यवहार बदल जाता है. वह भूल जाता है कि आज जिस मुकाम पर वह खड़ा है, वह हमेशा नहीं रहेगा. कभी ना कभी ऐसा वक्त इंसान के जीवन में जरुर आता है जब उसे सच्चाई का सामना करना पड़ता है. और तब वक्त इंसान को जमीं पर ला कर पटकता है.
वक्त किसी को नहीं बक्शता. और ना ही वक्त कभी एक सा रहता है. वक्त बदलता रहता है. वक्त बेशकीमती होता है. गुजरा हुआ वक्त कभी भी लौट कर नहीं आता. इसलिए जितना भी समय हमारे पास आज है उसे हमें सही तरीके से खर्च करना चाहिए. वक्त किसी के लिए नहीं ठहरता. ये हमेशा चलते रहता है.
वक्त, पैसे से ज्यादा कीमती होता है. हमें ज्यादा से ज्यादा पैसा तो मिल सकता है पर ज्यादा वक्त नहीं मिल सकता.
bahut khub...mausaji
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