एक व्यक्ति के घर पर लड़का पैदा हुआ . कई लोग उसके घर पर उसे बधाई देने पहुंचे . मिठाई, लड्डू वगैरह खाने के बाद सब वापस लौट गए. बधाई दे कर वापस लौट रहे एक महोदय को रास्ते में दूसरे सज्जन मिले . हाल-चाल पूछने के बाद उन सज्जन ने पहले व्यक्ति से पूछा,"भाई कहाँ से चले आ रहें हैं?," पहले व्यक्ति ने कहा,"अरे, वो अपने पाण्डेय जी है ना, उनके यहाँ लड़का हुआ है. बधाई देने गए थे. लड़का तो अच्छा है मगर रंग थोडा सावंला है."
दुआ सलाम खत्म होने पर वे अपने रास्ते चले गए . उन दूसरे व्यक्ति को आगे एक तीसरे व्यक्ति मिले . बातों ही बातों में दूसरे व्यक्ति ने तीसरे व्यक्ति से कहा,"अरे सुना है, अपने पाण्डेय जी के यहाँ लड़का हुआ है ! लड़का तो ठीक है मगर उसका रंग थोडा काला है !,"
वहां से आगे चलने पर उन तीसरे सज्जन को चौथे सज्जन मिले . उनसे बातों ही बातों में तीसरे सज्जन ने कहा," अरे सुना है, अपने पाण्डेय जी के यहाँ लड़का हुआ है ! लड़का तो ठीक है मगर उसका रंग तो बिलकुल काला है !"
तीसरे व्यक्ति की बात चौथे व्यक्ति ने सुनी. आगे उन्हें पांचवा व्यक्ति मिला तो उन्हें चौथे व्यक्ति ने बताया," अरे,सुना है अपने पाण्डेय जी के यहाँ लड़का हुआ है ! लड़का तो ठीक है मगर उसका रंग तो कौवे जैसा काला है !,"
अब भाईसाब, आगे देखिये . उन पांचवे सज्जन को एक छठवें सज्जन मिले तो उन्होंने उसे बताया, "अरे सुना है, अपने पाण्डेय जी के यहाँ कौवा पैदा हुआ है ?".
तो जनाब, ऐसा होता हमारे देश में. एक बात कई लोगों के द्वारा जब दूसरों तक पहुँचती है तो उसका पूरा स्वरुप ही बदल चुका होता है .लोगों द्वारा उस बात को तोड़ मरोड़ कर कुछ और बना दिया जाता है . ऐसे ही तो अफवाह फैलती है. बिना किसी बात को ठीक से जाने समझे हम उस बात का गलत मतलब लगा लेते हैं .
आईये , हम मिलकर इन अफवाहों को फैलने से रोकें और एक अच्छे नागरिक होने का कर्त्तव्य निभाएं.
दुआ सलाम खत्म होने पर वे अपने रास्ते चले गए . उन दूसरे व्यक्ति को आगे एक तीसरे व्यक्ति मिले . बातों ही बातों में दूसरे व्यक्ति ने तीसरे व्यक्ति से कहा,"अरे सुना है, अपने पाण्डेय जी के यहाँ लड़का हुआ है ! लड़का तो ठीक है मगर उसका रंग थोडा काला है !,"
वहां से आगे चलने पर उन तीसरे सज्जन को चौथे सज्जन मिले . उनसे बातों ही बातों में तीसरे सज्जन ने कहा," अरे सुना है, अपने पाण्डेय जी के यहाँ लड़का हुआ है ! लड़का तो ठीक है मगर उसका रंग तो बिलकुल काला है !"
तीसरे व्यक्ति की बात चौथे व्यक्ति ने सुनी. आगे उन्हें पांचवा व्यक्ति मिला तो उन्हें चौथे व्यक्ति ने बताया," अरे,सुना है अपने पाण्डेय जी के यहाँ लड़का हुआ है ! लड़का तो ठीक है मगर उसका रंग तो कौवे जैसा काला है !,"
अब भाईसाब, आगे देखिये . उन पांचवे सज्जन को एक छठवें सज्जन मिले तो उन्होंने उसे बताया, "अरे सुना है, अपने पाण्डेय जी के यहाँ कौवा पैदा हुआ है ?".
तो जनाब, ऐसा होता हमारे देश में. एक बात कई लोगों के द्वारा जब दूसरों तक पहुँचती है तो उसका पूरा स्वरुप ही बदल चुका होता है .लोगों द्वारा उस बात को तोड़ मरोड़ कर कुछ और बना दिया जाता है . ऐसे ही तो अफवाह फैलती है. बिना किसी बात को ठीक से जाने समझे हम उस बात का गलत मतलब लगा लेते हैं .
आईये , हम मिलकर इन अफवाहों को फैलने से रोकें और एक अच्छे नागरिक होने का कर्त्तव्य निभाएं.
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