काफी समय पहले की बात है. ब्रह्माजी को एक बार छुट्टी की जरूरत पड़ी. वे विष्णु जी के पास पहुँचे. विष्णुजी ने उन्हें जाने की इजाजत देते हुए कहा की वे अपनी जगह किसी और को नियुक्त करके ही छुट्टी पर जाएँ.
अब ब्रह्माजी ने सोचा कि किसको ढूंढे जो उनकी जगह काम कर सके. आखिर ढूंढ़ते-ढूंढ़ते उन्हें एक ऐसा व्यक्ति मिल ही गया. वह व्यक्ति देखने में ही काफी आलसी लग रहा था. उस समय भी वह सो रहा था. ब्रह्मा जी ने उसे जगाया और उसे अपनी समस्या बताई. वह व्यक्ति मान गया और पूछा कि उसे करना क्या पड़ेगा.
ब्रह्मा जी उसे अपने साथ एक जगह ले गए, जहाँ बहुत सी मिटटी पड़ी थी. ब्रह्मा जी ने उस व्यक्ति से कहा,"देखो, ये जो मिटटी पड़ी है ना, बस इस मिटटी के तीन-चार पुतले रोज़ बना कर धरती पर फेकना है. और कोई काम नहीं है."
उस व्यक्ति ने सोचा कि वाह, काम तो कुछ भी नहीं है. रोज़ सिर्फ तीन-चार पुतले बनाओ और फिर तान के सो जाओ, बहुत बढ़िया. उसने हामी भर दी.
उसके हामी भरते ही ब्रह्मा जी उसे अपना कार्यभार सौंप कर चले गए. करीब एक हफ्ते बाद जब वो छुट्टी से वापस लौटे तो देखा कि वहां की सारी मिटटी गायब है, और वह व्यक्ति आराम से सो रहा है. उन्होंने तुरंत उसे जगाया और पूछा,"क्यों यहाँ की सारी मिटटी कहाँ गयी?"
उस व्यक्ति ने जवाब दिया,"प्रभुजी, वो तो मैंने सोचा की कौन रोज़-रोज़ तीन-चार पुतले बनाएगा ,इसलिए मैंने एक ही दिन में सारे पुतले बना कर धरती पर फ़ेंक दिए, और बाकी दिन आराम से सो रहा था. मगर आप इतना घबरा क्यों रहे हैं.?"
ब्रह्मा जी ने अपना सर पीटते हुआ कहा,"तुमने तो पूरा कचरा कर के धर दिया. सारी मिटटी के पुतले बनाने की क्या जरुरत थी ? अब उधर धरती पर जनसँख्या बढ गयी है. इतने सारे लोगों के खाने-रहने का इंतजाम करना पड़ेगा. और तुमने पुतले बनाये भी तो सब उलटे-सीधे हैं. खुद ही देख लो, किसी का हाथ नहीं है, किसी का पैर नहीं है, किसी का दिमाग नहीं है, सब के सब आड़े तिरछे बने हैं. तुमने तो काम और बढा कर रख दिया है."
काफी देर तक ब्रह्मा जी समस्या का हल ढूंढ़ते रहे .जब उनकी समझ में कुछ नहीं आया तो वे पहुँच गए विष्णुजी के पास . उन्हें अपनी समस्या बताई . विष्णु जी भी उनकी समस्या सुन कर सोच में पड़ गए . उन्हें भी कुछ नहीं सुझा.
इतने में नारद मुनि का आगमन हुआ. नारदजी के पूछने पर विष्णुजी ने उन्हें भी समस्या सुना दी. समस्या सुनते ही नारदजी ने कहा ," अरे,बस इतनी सी बात है, चलिए मै आपको इस समस्या का हल बताता हूँ . धरती लोक में एक नया सरकारी विभाग चालू करिए और सभी को उसमे भर्ती करवा दीजिये . बस , आपकी समस्या ख़त्म ."
विष्णुजी और ब्रह्माजी , दोनों को उनकी बात पसंद आती है . धरतीलोक पर एक नया विभाग चालू किया जाता है , जिसका नाम रखा जाता है "रेलवे विभाग " और सभी को उसमे भरती कर दिया जाता है.
इतने में नारद मुनि का आगमन हुआ. नारदजी के पूछने पर विष्णुजी ने उन्हें भी समस्या सुना दी. समस्या सुनते ही नारदजी ने कहा ," अरे,बस इतनी सी बात है, चलिए मै आपको इस समस्या का हल बताता हूँ . धरती लोक में एक नया सरकारी विभाग चालू करिए और सभी को उसमे भर्ती करवा दीजिये . बस , आपकी समस्या ख़त्म ."
विष्णुजी और ब्रह्माजी , दोनों को उनकी बात पसंद आती है . धरतीलोक पर एक नया विभाग चालू किया जाता है , जिसका नाम रखा जाता है "रेलवे विभाग " और सभी को उसमे भरती कर दिया जाता है.
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