बहुत रह लिए ज़मीं पर अब ,
आसमां में उड़ने को जी चाहता है !!
बहारें जब छा जाती हैं चमन में ,
गीत कोई गुनगुनाने को जी चाहता है !!
कभी दायरों में सिमट जाती है जिंदगी ,
कभी सारे बंधन तोड़ने को जी चाहता है !!
कभी दुश्मनों पर आता है गुस्सा ,
कभी उन्हें दोस्त बनाने को जी चाहता है !!
हर पल ऊपर वाले का नाम आता है जुबां पे ,
कभी उसके पास जाने को जी चाहता है !!
कभी ये दुनिया लगती है अच्छी ,
कभी जिंदगी से भाग जाने को जी चाहता है !!
याद उनकी कभी जाती नहीं दिल से ,
जिन्हें अपना बनाने को जी चाहता है !!
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