यहाँ मोहब्बत रोज़ बिकती है सड़कों पर,
इश्क सरे-आम निलाम होता है !!
जिंदगी रोज़ लगती है दाँव पर और,
मौत का नाम बदनाम होता है !!
रात में ही तो मैखाने आबाद होते हैं,
सबके हाथों में फिर जाम होता है !!
दौर चलता है जब पीने-पिलाने का तो,
सबकी जुबां पर हमारा ही नाम होता है !!
उनका तो काम ही है, बेवफाई करना,
मेरे दिल फिर तू क्यों बेवजह परेशान होता है !!
पतझर के मौसम में, अकेला माली क्या करे,
बागों को बसाना तो माली का काम होता है !!
'विजय' तू तो अब बिक चूका है बाजारों में ,
देखें अब क्या तेरा अंजाम होता है !!