न पीना आता है, न पिलाना आता है ,
हमें तो नज़रों से नज़रें मिलाना आता है !!
और देखो नज़रें मिली भी तो किनसे ,
जिन्हें सिर्फ नज़रों से पिलाना आता है !!
न ले इम्तेहान मेरी वफ़ा का साकी ,
हमें भी रिश्तों को निभाना आता है !!
चाहे जितना जला ले इस दिल को जालिम,
हमें भी दिल की आग को बुझाना आता है !!
चाहे जितनी भी मुश्किलें आयें रास्तों पर अपने,
हमें तो हर वक़्त सिर्फ मुस्कुराना आता है !!
ऐ खुदा, तेरे दर पर हम आएं भी तो कैसे,
रास्ते में, मस्जिद के पहले तो मैखाना आता है !!
मेरे मांझी, अब तुझ पर एतबार करूँ भी तो कैसे,
तुझे तो सिर्फ कश्ती को डुबाना आता है !!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें