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The only thing I really wish to do with my life is to inspire someone. I want to touch someone’s life so much that they can genuinely say that if they have never met me then they wouldn’t be the person they are today. I want to save someone; save them from this cold, dark and lonely world. I wish to be someone’s hero, someone that people look up to. I only wish to make a change, even if it’s a small one. I just want to do more than exist.

मंगलवार, 21 जून 2011

लोकपाल बिल या लूटपाल बिल........

                                आखिरकार आज फिर लोकपाल ज्वाइंट ड्राफ्टिंग कमिटी की बैठक बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई . सरकार नही चाहती कि एक मजबूत लोकपाल बिल आए . आखिर लोकपाल पर ये हिचकिचाहट क्यों ?...... ये मतभेद क्यों ?........ सरकार चाहती है कि  लोकपाल की नियुक्ति के लिए बनी कमिटी में ज्यादा से ज्यादा पॉलिटिकल लोग होंगे और सांसदों का संसद के अंदर किया गया किसी भी तरह का करप्शन लोकपाल के दायरे से बाहर होगा. ऐसा क्यों ?....... 
                         भ्रष्ट राजनेता एक मजबूत लोकपाल बनाकर अपने पांव मे बेड़ियाँ  कैसे डालेंगे . फिर तो राजनीति उनके लिए घाटे का सौदा होगी . ये बैठकों का दौर तो बस एक नौटंकी का हिस्सा है ? ये राजनेता जानते हैं कि यदि एक मजबूत लोकपाल बिल बन गया तो आधे से अधिक सांसद जेल में होंगे . 
                         सरकार तो एक कठपुतली लोकपाल चाहती है जिसे वो जैसा चाहे नचा ले. जैसे कि एक मदारी अपने बन्दर को नचाता है , वैसा ही कुछ ये सरकार भी सोच रही है. ये सरकार लोकपाल बिल नहीं बल्कि लूटपाल बिल बनाना चाहती है. 
                         और एक विडंबना देखिये कि जिन लोगो के खिलाफ ये विधेयक तैयार होना है, उन्ही लोगों को इसे संसद में पास भी करना है. ऐसे में वो क्यों अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारेंगे.    
                         हमारा सोचना सही है कि ये बिल कभी तैयार नहीं हो सकता. जब पिछले ४२ सालों से नौ बार संसद में पेश होने के बाद भी यह विधेयक अब तक लंबित है, तब कैसे हम ये आशा कर लें कि इस बार यह पास हो ही जायेगा ?
                         आइये देखें कब तक कछुए की चाल चलता ये लोकपाल (लूटपाल) बिल अपने अंजाम तक पहुँचता है.        

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