दोपहर का वक्त था . सूरज सर पर आग उगल रहा था . रास्ते सुनसान पड़े थे . इक्का-दुक्का वाहन सड़क पर नज़र आ रहे थे. मै उस समय एक दूकान पर खड़ा था . चूँकि दुकानदार मेरा मित्र था इसलिए यूँही काफी देर से हम दोनों आपस में गुफ्तगू कर रहे थे .
इतने में एक कार आकर सड़क पर रुकी . एक व्यक्ति कार से बाहर निकला . उसने सफेद रंग का सूट पहन रखा था, आखों में काला चश्मा, चमचमाते हुए काले जूते, और होठों में सिगरेट दबी थी. वह सीधे दुकान पर आया . उसने दुकान से कुछ सामान लिया . पैसे चुकाने के लिए जैसे ही पर्स से पैसे निकाले , कि तभी एक रुपये का सिक्का, उसकी जेब से निकला और लुडकता हुआ कुछ दूर जा गिरा . वह व्यक्ति शायद बहुत जल्दी में था, इसलिए उसने उस सिक्के को उठाने की कोशिश नहीं की . सामान लेकर वह गाड़ी में जा बैठा और वहां से निकल गया.
वह सिक्का भी वहीँ पड़ा था मानो सोच रहा हो कि कैसा मेरा मालिक है , इसे मेरी कोई चिंता ही नहीं है. अभी उस व्यक्ति को गए हुए दो-चार मिनट ही हुए थे कि एक दूसरा व्यक्ति वहां आया . शक्ल से काफी गरीब लग रहा था . मैले से कपडे , सर पे गमछा बांधे हुए , कोई मजदूर था शायद.
आते ही उसकी नज़र उस सिक्के पर पड़ी . नज़रें चारों तरफ घूमी, एक पैर आगे बढ़ा, और सिक्का धीरे से पैर के नीचे छिप गया. तभी सीधा हाथ पैर खुजलाने के लिए नीचे गया और सिक्का हथेली के अंदर. अब उस व्यक्ति ने वहां से खिसकने में ही अपनी भलाई समझी, शायद सोचा हो कि अगर सिक्के के मालिक ने देख लिया तो सिक्का हाथ से चला जायेगा.
सिक्के ने भी सोचा होगा कि चलो कोई तो मिला जिसने मेरा मोल पहचाना .
हा हा हा
जवाब देंहटाएंइसके पहले वाले की तरह यह भी बहुत ही मजेदार लघु कथा रही.
इसमें सिक्के को मालिक मिला उसमें मिश्राइन से मुलाक़ात हुई.
यूँ ही लिखते रहिये.
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जवाब देंहटाएंमेरी इच्छा है कि आपका यह ब्लॉग सफलता की नई-नई ऊँचाइयों को छुए. यह ब्लॉग प्रेरणादायी और लोकप्रिय बने.
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