एक, दो,चार नहीं, सारा शहर है पीने वाला !
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मंदिर और मस्जिद का झगड़ा यूँ मिटाया जाय !
दोनों के बीच एक , मैखाना बनाया जाय !
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तेरे कानों में चुपके से , जो खुद मैंने बयाँ की है !
जमीं वालों से मत कहना, ये बातें आस्मां की हैं !
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सारा शहर था मेरे जनाजे के पीछे !
मगर क्यों तू ना आया मेरे जनाजे के पीछे ?
आता मैं कैसे तेरे जनाजे के पीछे !
तेरे जनाजा जो था, मेरे जनाजे के पीछे !!
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हम पानी की एक-एक बूँद को तरस गए !
और बादल जाकर,समंदर पर बरस गए !
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