क़त्ल कर दे निगाहों से , ऐसा कातिल नहीं मिलता ,
जो बदल दे तुफानो का रास्ता , ऐसा साहिल नहीं मिलता !
ये पत्थरों का शहर है ,पत्थर दिल हैं लोग ,
ठोकरों के सिवा यहाँ कुछ नहीं मिलता !
मंजिल की तलाश में चलते चले जाते हैं लोग,
रास्ते गुम हो जाते हैं, कारवां नहीं मिलता !
गैर तो फिर भी गैर हैं , उनसे क्या शिकवा करें ,
यहाँ अपने बदल जाते हैं, कोई सहारा नहीं मिलता !
उसने साथ छोड़ा , मुझे बेवफा समझकर ,
बेगानों की बस्ती में, अब हमदर्द नहीं मिलता!
मिलते तो कई लोग हैं , राहों में गुजरते हुए ,
जो मंजिल तक साथ चले,ऐसा हमसफ़र नहीं मिलता !
अब तो ये आलम है , तन्हा रह गया 'विजय' ,
क्योंकि कश्ती तो वहीँ डूबी थी, जहाँ पानी नहीं मिलता !
मेरे बारे में
- vijay
- The only thing I really wish to do with my life is to inspire someone. I want to touch someone’s life so much that they can genuinely say that if they have never met me then they wouldn’t be the person they are today. I want to save someone; save them from this cold, dark and lonely world. I wish to be someone’s hero, someone that people look up to. I only wish to make a change, even if it’s a small one. I just want to do more than exist.
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