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ये क्या हो रहा है ,
बापू तेरे देश में !
अमन-चैन खो रहा है ,
बापू तेरे देश में !
राम की इस धरती का ,
हो रहा है अपमान ,
इन्सान सो रहा है ,
बापू तेरे देश में !
ये क्या हो .............
इन्सान बन बैठा है ,
इंसानियत का दुश्मन ,
कटुता के बीज बो रहा है ,
बापू तेरे देश में !
ये क्या हो .............
शहीदों की कुर्बानियों को,
भूल चूका है इन्सान ,
दौलत पराई लूट रहा है ,
बापू तेरे देश में !
ये क्या हो ..............
इस मिटटी की शान को ,
वो कर रहा है बदनाम ,
इमान अपना बेच रहा है ,
बापू तेरे देश में !
ये क्या हो .................
देश की आबो-हवा ,
रोज़ बदल रही है ,
जीना मुश्किल हो रहा है ,
बापू तेरे देश में !
ये क्या हो ................
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