नज़रों के तीर दिल पे ,
चुभाते हुए गुजर गए !
जब वो सामने से मेरे,
मुस्कुराते हुए गुज़र गए !
उनकी शोख अदाओं की ,
नजाकत तो देखिये !
भरी भीड़ में तनहा मुझे ,
बनाते हुए गुजर गए !
वो मिले थे मुझे ,
बड़ा अजीब इतेफाक था !
उन हसीन पलों को वो ,
भुलाते हुए गुजर गए !
पल भर का साथ था ,
दो चार अफसाने थे !
सब कुछ खाक में ,
मिलाते हुए गुजर गए !
खता क्या थी विजय की ,
इतना तो बता दिया होता !
क्यों गुरुर में अपने वो ,
इतराते हुए गुजर गए !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें