दिल जल जल कर राख हुआ ,
आँखों से भी रोया ना गया ,
जख्म ही कुछ ऐसे थे ,
फूलों पर भी सोया ना गया !
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मेरा दिन तेरी रात से अच्छा होगा ,
मेरा दिल तेरे जज्बात से अच्छा होगा ,
उठेगी डोली तो घूँघट उठा कर देखना ,
मेरा जनाजा तेरी बारात से अच्छा होगा !
चाहे जिसे महफिल में बुला सकते हैं आप ,
हम भी क्या चीज़ हैं ,सितारों को भी ला सकते हैं आप !
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आरजू बन के शाम आई है ,
कुछ इस तरह से बहार छाई है,
जैसे कोई देहात से दुल्हन ,
शहर में पहली बार आई है !
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चोट पर चोट दिल पे खाए हुए ,
होंठ फिर भी हैं मुस्कराए हुए ,
मौत की वादियों में बैठा हूँ ,
जिंदगी की शमा जलाये हुए !
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